भगवान परशुराम जयंती (संस्कृत-हिन्दी ) Parshuram Jayanti Status:

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पराक्रम के कारक सत्य के धारक, परशु धारी भगवान परशुराम की जयंती की आप सभी को शुभकामनाये, भगवान परशुराम को नमन करते है | इनका जन्म हम वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मानते है, भगवान परशुराम , हनुमान जी, रजा बली, वेदव्यास समेतकई को अमर कहा जाता है जाओ सदैव पृथ्वी पर रहते हसी और तपस्या में लीं रहते है |parshuram jayanti images, parshuram jayanti status, parshuram jayanti sanskrit status

परशुराम जी को अपने पिता जमदग्नि ऋषि से शास्त्र की विद्या और अपने इष्ट देव महादेव से मिले परशु और शस्र की कला महर्षि कश्यप जी के आश्रम जाने से प्राप्त हुयी, पुराणों का अध्यन करे तो परशुराम जी क्रोधी स्वभाव के होने के बावजूत कभी अनुचित कार्य नहीं किया वह समाज के लिए दया और ज्ञान और पराक्रम के सागर है उनका तेज और स्मरण मात्र हममे एक उर्जा भरने का कार्य करता है |

परशुराम जी अपने शौर्य और पराक्रम के लिए जाने जाते है हाथ में परशु धारण किये चारो वेदों के अखंड ज्ञाता, शास्त्र से शास्र तक की सभी गुणों में निपुड, जिन्होंने अपने पराक्रम से कई बात धरती से अन्याय और अत्याचार का खंडन किया और हमें सत्य और सनातन के ज्ञान से इस धरा को परिपूर्ण किया |

परम ज्ञानी और भगवन विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी अनंत कहानिया और सौर्य के गुणगान हम सुनते है जिन्होंने गुरु द्रोणाचार्य, महाबली गंगा पुत्र भीष्म और कर्ण जैसे महान योद्धाओ के गुरु भी है जिनकी ही देन है जो आज की मार्शल आर्ट की कला आज दुनिया में प्रचलित है |

हमारा सनातन धर्म सदैव से महान रहा है जिन चीजो की खोज दुनिया आज कर रही है वह हमारे भारत में सदियों से चला आ रहा है हमारे ऋषि मुनियों में वेदों और ग्रंथो में सरे बहुमूल्य ज्ञान को संजोकर रख्खा है, पर कुछ दुर्भाग्य है जो हमारे यहाँ के लोग आज भी उन बातो को जाने की कोसिस तक नहीं करते, मोर्डन दुनिया की सरे ज्ञान और योग सभी चीजे हमें अपने धर्म ग्रंथो और पुस्तकों में मिल जाती है पर आज के लोगो की रूचि इन सब चीजो से हट रही है । भगावन परशुराम को नमन करते है और अपने धर्म के सच्ची श्रद्धा और आश्था के साथ अपने समाज में ज्ञान को और सनातन को जागृत करने का प्रयास करते है |

Bhagawan Parshuram Jayanti Status image: 

 

दूषित हुयी मात्रभूमि जब सत्ता के अत्याचारों से
रोया था जब गुरुकुल पापी आतंकी व्यवहारों से,
तब विष्णु ने जन्म लिया
धरती को मुक्त करने को
“विद्यदभी फरसे” का धारक परशुराम कहलाने को। । 

 

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भगवान परशुराम संस्कृत श्लोक: Parshuram Jayanti Sanskrit Status:

 

शुद्धं बुद्धं महाप्रज्ञामंडितं रणपण्डितं ।
रामं श्रीदत्तकरुणाभाजनं विप्ररंजनं ॥ 

 

हम ब्राह्मण बड़े सौभाग्यशाली है,
रावण ने हमें कभी झुकना नहीं सिखाया
और परशुराम ने कभी रुकना नहीं सिखाया ||
जय भगवान परशुराम

 

ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय
धीमहि, तन्नः परशुराम: प्रचोदयात्।

 

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अग्रत: चतुरो वेदा: पृष्ठत: सशरं धनु: ।
इदं ब्राह्मं इदं क्षात्रं शापादपि शरादपि ॥

 

अर्थात :- चार वेद ज्ञाता /पूर्ण ज्ञान एवं पीठपर धनुष्य-बाण/ शौर्यवान बलवान
यहां ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज, उच्चासन विधमान हैं। अतः जो सत्य का विरोध करेगा ,उसे ज्ञान देकर अन्यथा अपने धनुष बाण से पराजित करेंगे।

 

शांत है तो बस राम
भड़क गए तो परशुराम ||
जय श्री राम
जय परशुराम

 

परशुराम संस्कृत मंत्र:-

  • ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।
  • ‘ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।
  • ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।

 

परशुराम की प्रतीक्षा कविता: Bhagawan parshuram poem: 

 

दूषित हुई जब मातृभूमि सत्ता के अत्याचारों से
रोया था गुरुकुल जब पापी
आतंकी व्यवहारों से
तब विष्णु ने जन्म लिया धरती को
मुक्त कराने को
‘विद्युदभी फरसे’ का धारक परशुराम
कहलाने को। 

 

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जमदग्नि-रेणुका पुत्र भृगुवंश से
जिसका नाता था,
विष्णु का “आवेशावतार”शास्त्र-
शस्त्र का ज्ञाता था,
जटाजूट ऋषिवीर अनोखा,अद्भुत
तेज का धारक था,
था अभेद चट्टानों सा जो रिपुओं का संहारक था। 

 


शिव से परशु पाकर ‘राम’ से परशुराम कहलाया था,
अद्वीतिय योद्धा था जिससे हर दुश्मन थर्राया था,
प्रकृतिप्रेमी,ओजस्वी,मात-पिता का आज्ञाकारी था,
एक सिंह होकर भी जो लाखो सेना
पर भारी था। 

 


ध्यानमग्न पिता को जब हैहय कार्तवीर्य
ने काट दिया,
प्रण लेकर दुष्टों के शव से धरनी 21 बार था पाट दिया
आतताइयों के रक्त से जिसने पंचझील
तैयार किया। 

 

परशुराम की प्रतिज्ञा रामधारी सिंह दिनकर 
कण-कण ने भारतभूमि का तब उनका आभार किया
मुक्त कराया कामधेनु को,धरती को
उसका मान दिया,
ऋषि कश्यप को सप्तद्वीप भूमण्डल
का दान किया। 

 

जय दादा परशुराम 
भीष्म,कर्ण,और द्रोण ने जिनसे शस्त्रों
का ज्ञान लिया,
कल्पकाल तक रहने का जिनको विष्णु जी से वरदान मिला
पक्षधर थे स्त्री स्वातंत्र्य के बहुपत्नीवाद पर वार किया,
हर मानव को अपनी क्षमता पर जीने तैयार किया,
‘नील’ कहे खुद के ‘परशुराम’को हरगिज न सोने देना
अपनी क्षमता पर जीना या खुद को न जीवित कहना । 

 

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