मैं मधु से अनभिज्ञ आज भी… ( राष्ट्र को समर्पित )

shudhanshu trivedi main madhu se anabhigyan aaj bhi

अटल जी की अद्भुत रचना राष्ट्र को समर्पित मोदी जी के लिए यह कविता कई बार गयी गयी है, एक बार फिर शुधान्शु त्रिवेदी जी ने मोदी जी के वाराणसी बाबा विश्वनाथ कोरीडोर और गंगा आरती के समय गया बहोत ही विशेष रचना है जिसका अर्थ बहोत गहरा है आपको यह जरुर पढना चाहिए | यह सम्पूर्ण रचना किसकी है इस बात में हमे थोडा संदेह है आप हमे कमेंट में बताये यदि आप जानते है | पढिए मैं हिन्दू हूँ !

मैं मधु से अनभिज्ञ आज भी…

MAIN MADHU SE ANABHIGYAN AAJ BHI 

shudhanshu trivedi main madhu se anabhigyan aaj bhi

 

मैं मधु से अनभिज्ञ आज भी, जीवन भर विषपान किया है |
किया नहीं विध्वंस विश्व का, जीवन भर निर्माण किया है ||
किया नहीं विध्वंस विश्व का… 2

मैं वनवासी पर मानव के, हृदयों पर शासन करता हूँ |
हूँ सन्यासी पर वैभव से, दुनिया की झोली भरता हूँ |
शूल भरे कंटक पथ पर ही, आजीवन अभियान किया है ||
किया नहीं विध्वंस विश्व का… 2

धूं-धूं धधक-धधक कर धधकी, क्रुद्ध चिताएं बलखाती थीं |
धधक रहा मेरा यौवन था, धधक रही मेरी छाती थी |
मुट्ठी भर अवशिष्ट भस्म पर, आजीवन अभिमान किया है ||
किया नहीं विध्वंस विश्व का… 2

घोर प्रलय के भूकम्पों से, नष्ट भ्रष्ट था जग का जीवन |
पर मैं चिर उदधि की छाती, लखता था भीषण यम-नर्तन |
मैंने जन्म दिया मानव को, आजीवन कल्याण किया है ||
किया नहीं विध्वंस विश्व का… 2

पिला-पिला कर रक्त हृदय का, पीड़ित मानवता को पाला |
किन्तु इसी मानव ने दानव बनकर, मुझको ही डस डाला |
फिर भी मानव हूँ मानव का, आजीवन कल्याण किया है ||
किया नहीं विध्वंस विश्व का… 2

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