रामायण की अद्भुत मनमोहक व्याख्या करने वाले (राधेश्याम बरेलवी) राधेश्याम रामायणी जी का एक संवाद प्रस्तुत है..
लक्ष्मण जी को शक्ति लगाने के बाद हनुमान जी संजीवनी लेने जाते वक्त सूर्य देव से मिलते है।
पवन पुत्र महाबली हनुमान जी का सूर्य देव से विनम्र होकर निवेदन करते है और अंत में चेतावनी देते है एक वीर रस संवाद आपके मन को मोह लेगा।hanuman ji ki poem
राधेश्याम बरेलवी जी की रामायण से ही उत्तर भारत मे अधिकतर रामलीला के पाठ कराए जाते है। प्रेम रस, वीर रस, और लोक प्रचलित शब्दों के साथ अद्भुत तरीके से गोस्वामी तुलसीदास जी के रामचरितमानस की तरह सरल भाव मे लिखा है। hanuman ji ramlila path
यह लिखा प्रसंग हनुमान जी के विनम्र भाव और वीर भाव को एक साथ प्रस्तुत करता है। अगर आप बजरंग बली जी के भक्त है तो कमेन्ट मे “जय श्री राम” लिखे।
हनुमान जी की विनम्र चेतावनी: JAI BAJARANG BALI:
हे सूरज इतना याद रहे,
संकट एक सूरज वंश पर है।
लंका के नीच रहू द्वारा,
आधात दिनेश अंश पर है।
मेरे आने से पहले यदि किरणों का चमत्कार होगा,
तो सूर्य वंश में सूर्य देव निश्चित ही अन्धकार होगा।
इशलिये छिपे रहना भगवन जबतक जड़ी पंहुचा दूँ मैं,
बस तभी प्रगट होना भगवन जब संकट निशा मिटा दूँ मैं।
आशा है श्वल्प प्रार्थना है सच्चे जी स्वीकरोगे
आतुर की आर्ट अवस्था को होकर करुणार्थ निहारोगे।
अन्यथा क्षमा करना दिनकर अंजनी तनय से पाला है,
बचपन से जान रहे हो तुम हनुमत कितना मतवाला है।
मुख में तुमको धर रखने का फिर वाही क्रूर साधन होगा,
बंदी मोचन तब होगा जब लक्षमण का दुख मोचन होगा।
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