उसके बाद क्या ! Usake Baad kya: ( Qamar Jalalabadi )

कर लूंगा जमा दौलत ओ ज़र उस के बाद क्या
ले लूँ गा शानदार सा घर उस के बाद क्या !

शे’र ओ सुख़न की ख़ूब सजाऊँगा महफ़िलें
दुनिया में होगा नाम मगर उस के बाद क्या !

मय की तलब जो होगी तो बन जाऊँगा रिन्द
कर लूंगा मयकदों का सफ़र उस के बाद क्या !

होगा जो शौक़ हुस्न से राज़ ओ नियाज़ का
कर लूंगा गेसुओं में सहर उस के बाद क्या !

मौज आएगी तो सारे जहाँ की करूँ मैं सैर
वापस वही पुराना नगर उस के बाद क्या !

इक रोज़ मौत ज़ीस्त का दर खटखटाएगी
बुझ जाएगा चराग़े-क़मर उस के बाद क्या !

उठी थी ख़ाक, ख़ाक से मिल जाएगी वहीं
फिर उस के बाद किस को ख़बर उस के बाद क्या ।।

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