Viral Instagram Alone अकेलापन शायरी (Most Viewed )
हर रात गुजरती है मेरी तारों के दरमियाँ। मैं चाँद तो नहीं मगर तन्हा जरूर हूँ।
1
सूरज रोज अब भी बेफिजूल ही निकलता है, तुम गए हो जब से, उजाला नहीं हुआ।
2
ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है दोस्तों, जिसको कोई मिल गया वो और तन्हा हो गया।
3
ढूंढ लिया है खुद मैं ही सुकून
ये तनहाईयां अब साथ चलने को भी तैयार नहीं ।
4
ना जाने क्यूँ खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गँवाया है।
5.
अभी ज़िंदा हूँ, लेकिन सोचती रहती हूँ अकेले में, कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लि मैं।
6
मैं जो हूँ मुझे रहने दे हवा के जैसे बहने दे,
तन्हा सा मुसाफिर हूँ मुझे तन्हा ही तू रहने दे।
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तन्हाई में चलते चलते
अब पैर लडखडा रहे हैं,
कभी साथ चलता था कोई,
अब अकेले चलें जा रहे हैं।
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